RBI New Guidelines Update: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा हाल ही में एक नई गाइडलाइन को प्रस्तुत किया गया है, जिसके चलते बैंक एवं वित्तीय संस्थानों को यह जान लेना अनिवार्य है। बता दें कि इस गाइडलाइन के तहत मूल रूप से परियोजना वित्तपोषण और वर्तमान खाता खोलने से संबंधित अतिरिक्त गाइडलाइन्स को प्रस्तुत किया गया है। चलिए देखते हैं इसकी प्रमुख जानकारी।
बताते चलें कि RBI का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना और बैंकों के जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाना है। इस प्रणाली के बाद से ही गाइडलाइन में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिसके चलते बैंक के साथ उपभोक्ता को भी फायदा मिलने वाला है। चलिए देखते हैं इस गाइडलाइन की संपूर्ण जानकारी विस्तार से।
आरबीआई की नई गाइडलाइन का प्रमुख लक्ष्य
आरबीआई की इस नवीनतम गाइडलाइन के तहत मूल रूप से परियोजना वित्तपोषण के लिए अधिक सख्त नियम प्रस्तुत किए गए हैं, जिसके चलते अब से 5% तक की उच्च प्रावधान राशि का प्रावधान सम्मिलित किया जाएगा। साथ ही छोटे व्यवसायों के लिए वर्तमान खाते खोलने में किसी भी प्रकार का प्रबंध देखने के लिए नहीं मिलेगा। इसके अतिरिक्त, बैंकों को परियोजना विशेष डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत करने के लिए बेहद ही आसान प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।
गाइडलाइन का महत्वपूर्ण प्रभाव
आरबीआई के द्वारा शुरू की गई इस गाइडलाइन के तहत मूल रूप से परियोजना वित्तपोषण पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। बताते चलें कि पहले के समय पर बैंकों को मानक संपत्तियों पर केवल 0.4% प्रावधान करने की आवश्यकता होती थी, लेकिन इसके बाद से अब यह बढ़कर 1-5% हो जाएगा। साथ ही इसका सीधा सा अर्थ यह है कि बैंकों को अधिक धनराशि सुरक्षित रखने की आवश्यकता पड़ेगी, जिसके चलते उन्हें नकारात्मक प्रभाव देखने के लिए मिल सकता है।
छोटे व्यवसायों के लिए राहत
यदि किसी व्यक्ति के बैंकिंग प्रणाली में लगभग उधारी 5 करोड़ रुपये से कम पाई जाती है, तो उन्हें अपने खाते में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस मूल रूप से छोटे व्यवसाय को संचालित करने के लिए बेहद ही आसान और सरल बनाया जाएगा। RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऋण चुकौती अवधि को भी परिवर्तित करके अब 85% से न्यूनतम रखने की बात कही है, जिसके चलते यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि चुकौती समय पर हो सके।
गाइडलाइंस के लाभ
आरबीआई की इन महत्वपूर्ण गाइडलाइनों के बाद से नए नियमों से बैंकों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाया जाएगा। इसके अलावा, अधिक प्रावधान राशि से जोखिम कम होगा। छोटे व्यवसायों का समर्थन मिलने वाला है, जिससे हर क्षेत्र में नए व्यवसाय प्रारंभ होंगे। इतना ही नहीं, साथ ही डाटा प्रबंधन में सुधार से पारदर्शिता बढ़ेगी, जो कि RBI के द्वारा जारी की गई महत्वपूर्ण गाइडलाइन का प्रमुख हिस्सा है।
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